गुनाह
हम आके ठहरें हैं आज
उस मुक़ाम पर;
हँस लिए तो लगता है
कुछ गुनाह करलिए।
जीते नहीं हम, सिर्फ़ जिंदा हैं;
ऐसा लगता है सांस लेके
सौ गुनाह करलिए।
इमेज कर्टसी http://blog.hillsbiblechurch.org/2012/11/22/repenting-from-sin/repentance-epignosis-e-pe-gno-ses-ministries/